हरि बिन क्यूँ जीऊँ री माय।हरि कारण बौरी भई, जस काठहि घुन खाय।औषध मूल न संचरै, मोहि लागौ बौराय।कमठ दादुर बसत जलमँह, जलहि ते उपजाय।हरि ढूढँन गई बन-बन, कहुँ मुरली धुन पाय।मीरा के प्रभु लाल गिरधर, मिलि गय...Show More
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